दशकों के संघर्ष के बाद प्रदेश को मिली थी अलग पहचानः रूपाली साहा
डेली पब्लिक लाइव न्यूज़ (कंडाघाट )
15 अप्रैल। हिमाचल दिवस के अवसर दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल कंडाघाट में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्कूल प्रधानाचार्या रूपाली साहा उपस्थित रहीं। नर्सरी कक्षा से बाहरवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रमों में सहभागिता की। नर्सरी कक्षा के नन्हें बच्चों ने हिमाचली और पंजाबी परिधानों में सजकर रैम्प वॉक किया। बैसाखी के उपलक्ष्य पर कक्षा एक और दो के विद्यार्थियों ने पंजाबी गीतों पर मनमोहक नृत्य किया।
इनमें गिद्धा और भांगड़ा की प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया। हिमाचल राज्यत्व दिवस पर तीसरी से पांचवीं कक्षा के छात्रों ने हिमाचली संस्कृति के अनुरूप वेशभूषा में प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले नृत्यों से समां बांधा। हिंदी अध्यापिका आरती शर्मा ने संवाद की शैली में हिमाचल के इतिहास को बच्चों को बताया।
कक्षा 6 से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए इंटर हाउस समूह गीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। समूह गीत प्रतियोगिता में ऑर्किड को पहला, कॉसमॉस हाउस ने दूसरा स्थान व ट्यूलिप सदन ने तीसरा स्थान प्प्राप्त किया। प्रतियोगिताओं में हिमाचल के अलग-अलग जिलों की लोक-संस्कृति से रूबरू करने वाले गीतों की प्रस्तुतियां की गयी। संगीत की इस प्रतियोगिता में हिमाचल के साथ-साथ इसके साथ लगते राज्यों की सांस्कृतिक एकता की झलक भी देखने को मिली।
हिमाचल दिवस पर अपने उद्बोधन में दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल की
प्रधानाचार्य श्रीमती रूपाली साहा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती हर किसी का मन मोह लेती है। यह एक ऐसा राज्य हैं, जिसके ऊंचे-ऊंचे पहाड़, नदी, झीलें और मंदिर को अगर कोई एक बार देखता है तो बस इनका ही होकर रह जाता है।
दशकों के संघर्ष के बाद और भारत की आजादी के बाद, अंततः 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल के मुख्य आयुक्त प्रांत को मान्यता दी गई। हर साल इस तारीख को हिमाचल दिवस मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन हिमाचल को भारत का एक प्रांत घोषित किया गया था।
इस अवसर पर स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष डीoआरoगुप्ता, समिति सदस्य प्रमोद कुमार और मुकेश राणा ने विद्यार्थियों के भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी।