हिमाचल के कथा साहित्य में संस्कृति और इतिहास का संगम विषय पर की गई चर्चा
सचिव भाषा संस्कृति, शिक्षा व सूचना एवं जनसंपर्क राकेश कंवर ने की अध्यक्षता
डेली पब्लिक लाइव न्यूज़ (सुंदरनगर )
17 दिसंबर ।सचिव भाषा संस्कृति, शिक्षा व सूचना एवं जनसंपर्क विभाग राकेश कंवर(भा०प्र०से०) की अध्यक्षता में भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा संवाद कार्यक्रम का आयोजन हिमाचल दंत चिकित्सा महाविद्यालय सुंदरनगर के सभागार में किया गया। संवाद कार्यक्रम का विषय हिमाचल के कथा साहित्य में संस्कृति और इतिहास का संगम था।
इस अवसर पर सुंदरनगर के प्रसिद्ध लेखक व कलाकार डॉ गंगाराम राजी द्वारा लिखित उपन्यास लोम हर्षक राजा सिद्ध सेन का विमोचन भी किया गया जो कि राकेश कंवर को समर्पित है।
राकेश कंवर ने अपने संबोधन में कहा कि पाठकों का एक किताब को पढ़ने का नजरिया अलग-अलग होता है, जो कि किताब और पाठक के रिश्ते को दर्शाता है। बदलाव को जानना इतिहास है। इतिहास पढ़ना लोगों की रुचि और पसंद होती है, न की जरूरत। लोगों को इतिहास से बहुत अपेक्षाएं होती है जैसे कि इतिहास में लिखी गई घटनाएं सच्ची, पक्की और प्रमाणित हों। हर विषय को विज्ञान से जोड़ना जरूरी नहीं होना चाहिए। उन्होंने उपस्थित लेखकों से आग्रह किया कि वे अपने स्तर पर छोटे-छोटे संवाद का आयोजन करें, ताकि लेखकों की समस्याओं को उजागर कर उनका हल किया जा सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में भाषा एवं संस्कृति अकादमी का पुनर्गठन किया गया है। शिक्षा विभाग में प्रत्येक जिला स्तरीय व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं के पुस्तकालयों को सार्वजनिक पुस्तकालय बनाने का भी फैसला लिया गया है। हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में भी पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 138 राजकीय महाविद्यालयों के पुस्तकालयों को आंका गया है और उनको भी सार्वजनिक पुस्तकालयों में बदलने का कार्य किया जा रहा है।
इस अवसर पर निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग डॉ. पंकज ललित और सहायक निदेशक सुनीला ठाकुर भी उपस्थित रहे। साथ ही हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए प्रसिद्ध लेखक प्रो० रेखा वशिष्ठ, चिरानंद शास्त्री, देवेंद्र धर, वैभव सिंह, कृष्ण चंद महोदविया, राकेश शर्मा, डॉ सुशील कुमार फुल्ल ने भी अपने विचार सांझा किए गए।