महामाया स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बढ़ाए आत्मनिर्भरता की ओर कदम

समूह की 12 महिलाओं ने दो महीने में कमाए 2 लाख रुपये

DPLN ( मंडी )
1 नवम्बर। प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम चला रही है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश वन परितन्त्र और आजीविका सुधार परियोजना द्वारा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को घरद्वार पर प्रशिक्षित कर स्वरोजगार के माध्यम से उनकी आर्थिकी को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित व जागरूक किया जा रहा है। वन विभाग की जायका वानिकी परियोजना इस परियोजना से मंडी जिला के सुकेत वन मंडल में वन परिक्षेत्र सुकेत में ग्राम वन विकास समिति भँगलेरा तहसील सुन्दरनगर के महामाया स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बैग बनाकर और कपडे़ सिलाई करके अपनी आर्थिकी सुदृढ़ करने की ओर कदम बढ़ाए हैं।

महामाया स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्रशिक्षण के बाद दो महीनों में ही लगभग 2 लाख रुपए धनराशि कमा चुकी हैं। समूह की महिलाओं को जायका वानिकी परियोजना के अर्न्तगत वन विभाग के माध्यम से 28-28 दिन की कपड़े की सिलाई तथा बैग बनाने की निःशुल्क ट्रेनिंग प्रदान की गई। इस दौरान उन्होंने जूट से लंच बैग, बोतल बैग, फाइल बैग आदि बनाने की भी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण लेने के उपरांत महिलाएं बैगों को दुकानों, स्कूलों, मेलों में बेचती है तथा ऑर्डर पर भी बैग बनाती हैं। महिलाएं 100 रुपये लेकर 500 रुपए तक के बैग बनाती हैं। साथ ही गांव व आसपास के क्षेत्र की महिलाओं के सूट की सिलाई घर पर ही करती हैं।
समूह की सदस्य राधा ट्रेनर के रूप में हुई चयनित
समूह की सदस्य राधा ने बताया कि वह महामाया समूह से सहायता समूह की एक सदस्य है। वन विभाग जाइका की तरफ से उसे बैग बनाने और सूट सिलाई की निःशुल्क ट्रेनिंग दी गई है। वन विभाग जाइका की तरफ से उसे विभिन्न जिलों में ट्रेनर के रूप में जाने का भी मौका मिला है जो कि उसके लिए एक रोजगार का साधन बना हुआ है जिसके लिए उसने प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया।
महिलाओं से योजनाओं का लाभ उठाने का किया आह्वान
डीएफओ सुकेत राकेश कटोच ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बताया जा रहा है कि समूह के माध्यम से महिलाएं किस प्रकार जायका द्वारा मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठा सकती है। महिलाओं को स्वरोजगार पर बल देकर और स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं को समूह को आगे बढ़ने एवं विभिन्न प्रकार के छोटे उद्यम लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं घर बैठे काम कर आर्थिकी को मजबूत करने में जुटी हैं।

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