निदेशक मत्स्य पालन विभाग ने किया सुन्दरनगर में राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेले का शुभारंभ

निदेशक मत्स्य पालन विभाग ने किया सुन्दरनगर में राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेले का शुभारंभ

डेली पब्लिक लाइव न्यूज़ ( सुन्दरनगर )
13 अप्रैल ।
निदेशक मत्स्य पालन विभाग विवेक चंदेल ने शनिवार को सुन्दरनगर में राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला का शुभारंभ किया। उन्होंने शुकदेव वाटिका में विभिन्न देवी देवताओं की पूजा अर्चना की तथा शुकदेव वाटिका से जवाहर पार्क, सुन्दरनगर तक देवी देवताओं की भव्य शोभायात्रा में भी शामिल हुए। इसके पश्चात उन्होंने जवाहर पार्क सुन्दरनगर में मेले का ध्वज फहराकर राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला का विधिवत शुभारम्भ किया। उपमंडलाधिकारी सुंदरनगर एवं अध्यक्ष राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला समिति गिरीश समरा ने मुख्यातिथि का स्वागत संबोधन किया तथा समस्त जनता को सुकेत देवता मेले की बधाई दी।

इस अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए विवेक चन्देल ने कहा कि प्रदेश में आयोजित होने वाले मेलों की समृद्ध परम्परा में रियासतकाल से मनाए जा रहे सुकेत देवता मेला का प्रमुख स्थान है । शुकदेव ऋषि की तपोस्थली में आयोजित होने वाला यह मेला देव आस्था एवं परम्परा का प्रमुख केंद्र है। उन्होंने कहा कि मेले हमारी समृद्ध सभ्यता व संस्कृति के प्रतीक हैं। मेलों के माध्यम से न केवल आपसी भाईचारे की भावना को बल मिलता है, बल्कि हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में भी ये अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मेले एवं त्यौहार अपने में अनूठे होेते हैं और यह राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए हैं। विवेक चंदेल ने कहा कि सुकेत देवता मेला सुकेत रियासत में प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। सुकेत रियासत के विभिन्न देवी देवता इस मेले में शिरकत करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस उत्सव की बहुमूल्य परम्पराओं को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह एक राज्य के रूप में हमारी पहचान की पुष्टि करती हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष भर उत्सव एवं त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। संस्कृति और इसकी विरासत हमारी राष्ट्रीय पहचान को परिभाषित करने के साथ ही हमारे मूल्यों, आस्था और आकांक्षाओं को प्रर्दशित एवं आकार भी प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि मेले और त्यौहार लोगों में नव उर्जा का संचार करते हैं और हमें इनमें सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह महोत्सव जहां बाहरी राज्यों से आए पर्यटकों को हिमाचल की विशिष्ट देव संस्कृति से रूबरू करवाएगा वहीं प्रदेश की आर्थिकी को भी संबल प्रदान करेगा। उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की कि देवता मेले के दौरान आज भी पुरातन परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है।

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