हिमाचल प्रदेश दवा गुणवत्ता मानक बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध

हिमाचल प्रदेश दवा गुणवत्ता मानक बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध

डेली पब्लिक लाइव न्यूज़ (सोलन )
25 मार्च। हिमाचल प्रदेश राज्य दवा नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में उत्पादित की जा रही दवाओं की गुणवत्ता को निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित बनाया जा रहा है कि राज्य की दवाएं अपनी गुणवत्ता और सुरक्षित उपयोग के लिए जानी जाएं।


मनीष कपूर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशानुसार प्रदेश में कम गुणवत्ता अथवा खराब दवा बनाने वाले निर्माताओं के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में व्यापक जांच के उपरांत यह पाया गया है कि अन्य राज्यों में निर्मित खराब गुणवत्ता वाली दवाओं के उत्पादन स्थल के रूप में हिमाचल प्रदेश का नाम लिया जा रहा है। वास्तविकता यह है कि यह दवाएं अन्य राज्यों में निर्मित की गई हैं और यह हिमाचल प्रदेश की विश्व के दवा हब के रूप स्थापित छवि को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के कारण समाचारों में खराब दवा उत्पादन के मामलों में अकसर हिमाचल का नाम सामने आ रहा है जोकि पूर्णतया आधारहीन, भ्रामक एवं तथ्यों से परे है।
मनीष कपूर ने कहा कि वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन प्राधिकरण द्वारा 20 ऐसी दवाओं की जानकारी दी गई जिनके सम्बन्ध में यह कहा गया कि यह दवाएं हिमाचल प्रदेश के सोलन और सिरमौर ज़िलों में निर्मित की गई हैं। उन्होंने कहा कि ठोस जांच के उपरांत यह सत्यापित हुआ कि इन दवाओं को निर्मित करने वाली कोई भी कम्पनी राज्य में स्थापित ही नहीं हैं। इस विषय में सम्बन्धित राज्यों के खाद्य एवं औषधि प्रशासन प्राधिकरण को तुरंत सूचित किया गया और झूठ फैलाने वालांे के विरूद्ध विधिक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया।
राज्य दवा नियंत्रक ने कहा कि इन खराब गुणवत्ता वाली दवाओं पर कोर हेल्थकेयर, डी.जी. फार्मास्यूटिकल्स, सीमेक्स फार्मा और पैराडॉक्स फार्मास्यूटिकल्स जैसी कम्पनियों के लेबल लगे पाए गए। इन दवाओं के निर्माताओं का यह दावा था कि कम्पनियां हिमाचल प्रदेश में स्थापित हैं। वास्तविकता यह है कि यह दवाएं हिमाचल में निर्मित ही नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इन्हीं में एक दवा कॉफ-एक्स जो तथाकथित तौर पर सीमेक्स फार्मा द्वारा निर्मित की जा रही थी और जिसमें कोडिन नामक पदार्थ पाया गया, हिमाचल में निर्मित नहीं की जा रही है। इस पदार्थ का उपयोग नियमन के उपरांत ही किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि गत दिवस ही हरियाणा के सोनीपत में पैराडॉक्स फार्मास्यूटिकल्स बद्दी के छद्म लेबल के साथ निर्मित की जा रही एंटीबायोटिक दवा की जानकारी भी प्राप्त हुई। इन सब से यह प्रतीत हो रहा है कि हिमाचल प्रदेश की स्वच्छ दवा उत्पादन हब की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
मनीष कपूर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार दवा गुणवत्ता के लिए पूर्ण रूप से सजग है। उन्होंने कहा कि पूर्व में हिमाचल प्रदेश में खराब गुणवत्ता दवा निर्माण की जानकारी मिलते ही त्वरित कार्यवाही की गई और दोषियों को गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने कहा कि ऐसे सभी मामलों में दोषियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्यवाही करने और लोगों तक उचित गुणवत्ता वाली दवा पहुंचाने के लिए समन्वित प्रयास आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश दवा नियंत्रण प्रशासन इस दिशा में सजग है और यह सुनिश्चित बनाया जा रहा है कि लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली दवा मिले। प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार जन सुरक्षा को सर्वोच्च अधिमान दिया जा रहा है। उन्होंने देश के विभिन्न नियमन प्राधिकरणों से आग्रह किया कि ऐसे दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाए।

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