सीएम सुखाश्रय कोष से जिला शिमला के 350 बच्चों को मिलेगा लाभ
DPLN ( शिमला )
07 जनवरी ।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार निराश्रित बच्चों के साथ-साथ बेसहारा महिलाओं के सुख व आश्रय तक साथ निभाने जा रही है। अभी तक निराश्रित बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक ही आश्रम में रहने की व्यवस्था मिलती थी तथा इसके बाद आश्रम में रह चुके बच्चों को सरकार की आफ्टर केयर योजना के तहत विभिन्न व्यवसायिक कोर्स जैसे आईटीआई, नर्सिंग, होटल मैनेजमेंट कोर्स करवाए जाते थे, ताकि वह समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकें। लेकिन वर्तमान सरकार ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में एक कदम आगे बढ़ाते हुए 101 करोड़ रुपये का मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले से हिमाचल प्रदेश में जहां हजारों अनाथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च सरकार वहन करेगी, वहीं सुक्खू सरकार एक अभिभावक के रूप में उनकी परवरिश भी करेगी।
सुक्खू सरकार की मंशा है कि जब तक निराश्रित बच्चा नौकरी पर नहीं लग जाता या पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं बनता, तब तक सरकार उनका हाथ नहीं छोड़ेगी और उसकी हर प्रकार से सहायता करेगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि 101 करोड़ रुपए का कोष बनाकर निराश्रित बच्चों पर राज्य सरकार कोई करुणा नहीं दिखा रही है, बल्कि यह उनका वर्तमान सरकार पर अधिकार है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वयं इस कोष के लिए अपना अंशदान दे चुके हैं तथा अन्य विधायक भी इस कोष के लिए अपना सहयोग करेंगे। इसके साथ-साथ कॉरर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के माध्यम से भी फंड एकत्र किया जाएगा, ताकि निराश्रित बच्चों के साथ-साथ जरूरतमंद एकल नारी की मदद की जा सके।
वर्तमान प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता योजना से जिला शिमला के लगभग 350 बच्चों को लाभ मिलेगा, जो जिला शिमला में बने 11 अलग-अलग आश्रमों में रह रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता योजना को महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है।
उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने बताया कि प्रदेश सरकार की इस अभिनव योजना से जिला शिमला के अनाथ बच्चों के साथ-साथ बेसहारा एकल महिलाओं की काफी सहायता होगी। उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने तथा अपने लिए सम्मानजनक जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को धरातल पर उतारने के लिए भरसक प्रयास किए जाएंगे ताकि योजना का लाभ प्रत्येक पात्र तक पहुंचाया जाएगा।