बिलासपुर जिला में अब तक मलेरिया का एक भी मामला नहीं
डेली पब्लिक लाइव न्यूज़ (बिलासपुर )
30 अगस्त ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रवीण कुमार ने जिला वासियों से बरसात के दौरान डेंगू व मलेरिया से बचाव के लिए सावधानी बरतने की अपील की हैं। उन्होंने कहा कि जिला बिलासपुर में अब तक डेंगू और मलेरिया का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। मगर बरसात में डेंगू और मलेरिया के फैलने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने बताया कि जिला बिलासपुर में उच्च जोखिम वाले जगह परलगातार फागिंग की जा रही है। ताकि डेंगू और मलेरिया की फैलने की संभावनाओं को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि मच्छरों से बचने के लिए घर के आसपास की नालियों गमलों खाली पड़े बर्तनों कूलर की जालियों फ्रिज और एसी की सफाई की जाए क्योंकि साफ पानी में ही डेंगू और मलेरिया का मच्छर पनपता है। गंदे पानी में दवा व काले तेल का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे मच्छर का लारवा पैदा होने से पहले ही नष्ट हो जाए।उन्होंने बताया कि मानसून के दौरान हवा में नमी बढ़ जाती है। नालियों, बगीचों व छतों पर पानी का जमाव हो जाता है। इसमें मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों के पनपने के लिए माहौल अनुकूल हो जाता है। जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने तक मच्छर का प्रसार तेजी से होता है।उन्होंने बताया कि मलेरिया एक तेज बुखार वाली संक्रामक बीमारी है जो एक सूक्ष्म जीव मलेरिया पैरासाईट द्वारा होती है जिसे एनाफ्लीज मादा मच्छर एक मलेरिया रोगी से ग्रहण करके अन्य स्वस्थ व्यक्तियों तक पहुंचाती है। मलेरिया का संक्रमण किसी भी आयु एंव लिंग के व्यक्ति को हो सकता है। उन्होंने मलेरिया के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि मलेरिया की तीन अवस्थाएं होती है शीत वाली अवस्था तेज सर्दी, शरीर में कंपकंपी, सिर में दर्द, खूब कपड़े ओढ़ना गर्मी वाली अवस्था-तेज बुखार, ओढे व पहने हुए कपड़े उतार फेंकना,पसीने वाली अवस्था अधिक पसीने के साथ बुखार उतरना व कमजोरी महसूस होना,मलेरिया की जांच कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है, किसी भी सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य उपकेन्द्र या स्वास्थ्य कार्यकर्ता के दौरे पर जांच के लिए रक्त पटिका की सूक्ष्म दर्शी द्वारा जांच पर मलेरिया की पुष्टि होने पर मूल उपचार मुफ्त दिया जाता है। मलेरिया के लिए खून की जांच व उपचार निःशुल्क किए जाते हैं।
डेंगू व मलेरिया पर नियंत्रण के लिए ये उपाय अवश्य करें
मच्छर हमेशा खडे पानी में अण्डे देता है इस लिए खुले तौर पर कभी भी पानी खडा न होने दिया जाए, जहां कहीं पानी स्टोर किया जाए उसे भली प्रकार ढक कर रखें ताकि मच्छर प्रवेश न कर सके,घरों के आस-पास गढ़ढों को भर दें और नालियों की सफाई बनाए रखें ताकि पानी का ठहराव सम्भव न हो,सप्ताह में एक बार सूखा दिवस मनाएं, कूलरों, गमलों, और डिब्बों का पानी निकाल कर इन्हें सूखा दें। 5 गमलों, मनी प्लांट आदि के पौधों का पानी सप्ताह में एक बार अवश्य बदलें,खुले में पड़े पुराने बर्तनों, टायरों, ट्यूवों आदि में पानी न भरनें दें उनको सही जगह रखें, कुलरों को सप्ताह में दोबारा पानी भरने से पहले इन्हें अच्छी तरह पोंछ व सूखा कर ही पानी डालें, सोते समय कीटनाशक से उपचारित मच्छरदानी का प्रयोग करें, शरीर के नंगे भागों जैसे हाथ, पैर, मुंह पर मच्छर भगाने वाली कीम का प्रयोग करें, घर के दरवाजों और खिडकियों में जालीदार पल्ले लगवाएं, पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहने।