मुख्यमंत्री ने शिमला के रिज पर राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह की अध्यक्षता की

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया तथा राज्य पुलिस, गृह रक्षक, एनसीसी, एनएसएस की टुकड़ियों की सलामी ली

इंदिरा गांधी मातृ शिशु संकल्प योजना आरम्भ करने की घोषणा

DPLN (शिमला )
15 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस का राज्य स्तरीय समारोह आज ऐतिहासिक रिज मैदान, शिमला में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने परेड का निरीक्षण किया और मार्च पास्ट की सलामी ली। परेड में पुलिस, होमगार्ड, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट्स एंड गाइड की टुकड़ियां शामिल हुईं, जिसका नेतृत्व पुलिस उप-अधीक्षक प्रणव चौहान ने किया। भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में आई आपदा के बीच आज प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम सादगी के साथ आयोजित किए गए। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने लोगों को सम्बोधित करते हुए स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी और कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए जश्न मनाने का यह सही समय नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में प्रदेश पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। कई स्थानों पर बादल फटने और पहाड़ खिसकने की प्रलयंकारी घटनाएं सामने आई हैं। लोगों द्वारा तिनका-तिनका जोड़कर बनाए गए घर इस आपदा के दौरान मलबे में दब गए हैं। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं और रोते बिलखते लोगों को देखकर उनका मन अत्यंत दुखी है। उन्होंने कहा कि पिछले चौबीस घंटे में हमने 50 बहुमूल्य जीवन खोए हैं। हिमाचल प्रदेश में मानसून आने के बाद से 300 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। उन्होंने इस अवसर पर सभी मृतकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रभावित परिवारों के लिए यह मुश्किल की घड़ी है लेकिन राज्य सरकार, प्रदेश के लोगों के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि प्रभावितों के घाव पैसे से नहीं भरे जा सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार एक-एक पैसा जोड़ कर सभी प्रभावितों का घर बसायेगी। उन्होंने कहा कि पूरी सरकार एकजुटता के साथ हिमाचल प्रदेश को संकट से निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रासदी को देखते हुए इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम सेरेमोनियल रूप से मनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा से भारी तबाही हो रही है तथा यह पिछले 50 साल की सबसे बड़ी आपदा है। जगह-जगह घर और सड़कें टूट रही हैं। किसानों के खेत व फसलें तबाह हो रही हैं और पूरे प्रदेश में आपदा से भारी नुकसान हो रहा है। इस त्रासदी का हिमाचल प्रदेश के सभी लोग बड़ी मजबूती के साथ सामना कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि सरकार ने जिला लाहौल-स्पिति के चंद्रताल में फंसे 303 पर्यटकों को सुरक्षित निकाला। अपनी जान की परवाह न करते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी ने ये मुश्किल मिशन पूरा किया और सभी मेहमानों को सुरक्षित निकाला। उन्होंने कहा कि इस आपदा में राहत कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विश्व बैंक ने भी प्रदेश सरकार की सराहना की है। उन्होंने किसानों और बागवानों को विश्वास दिलाया कि उनके उत्पादों को हर हाल में मण्डियों तक पहुंचाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पंचायत स्तर तक सभी सम्पर्क मार्गों को खोलने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाई है और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि समयबद्ध सभी सड़कों को खोला जाए। उन्होंने कहा कि हिमाचल जैसे छोटे से राज्य में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है। आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हिमाचल को राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए केन्द्र सरकार से आर्थिक मदद की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद व्यक्त की कि जल्द ही केन्द्र सरकार प्रदेश को अंतरिम राहत की पहली किस्त जारी करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष जुलाई माह में आपदा के दौरान गम्भीर संकट की स्थिति को देखते हुए सरकार ने राहत का एक विशेष पैकेज घोषित किया है। इससे पूर्व घर को आंशिक नुकसान होने पर 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती थी। लेकिन राज्य सरकार ने इस सहायता राशि को दस गुना बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया है। उन्होंने कहा कि दुकानों और ढाबों को नुकसान होने पर, सामान के एवज में, पहले सिर्फ 10 हजार रुपये मिलते थे, जिसे बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। किरायेदार के सामान को नुकसान होने पर, पहले 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिलती थी जिसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। उन्होंने कहा कृषि और बागवानी भूमि में सिल्ट आने पर पहले लगभग 1400 रूपये प्रति बीघा मुआवजा दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर 5 हजार रुपये प्रति बीघा किया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी योग्य भूमि को नुकसान पर, पहले 3 हजार 600 रूपये प्रति बीघा की आर्थिक सहायता दी जाती थी, जिसे राज्य सरकार ने 10 हजार रुपये प्रति बीघा कर दिया है। उन्होंने कहा कि आपदा में गाय-भैंस की मृत्यु पर मिलने वाले मुआवजे को 37.50 हजार रुपये से बढ़ाकर 55 हजार रुपये किया गया है। इसके अतिरिक्त भेड़ और बकरी की मौत पर मिलने वाली 4 हजार रुपये की मदद को बढ़ाकर 6 हजार रुपये कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के मन्त्री, विधायक और प्रशासन आम जनता को तुरन्त राहत प्रदान करने के लिए मौके पर पहुंच रहे हैं और प्रदेश सरकार विशेष पैकेज के तहत प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए 100 करोड़ रूपये खर्च कर रही है।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने आपदा की तैयारी के लिए एक दीर्घकालीन योजना तैयार की है, जिस पर लगभग 800 करोड़ रुपये खर्च किये जायेगें, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके। प्रदेश मेंकृ कृषि, बागवानी, वन और जल क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रत्येक जिले में भूस्खलन, हिमस्खलन, बाढ़ और भूकम्प सम्बंधी उच्च स्तरीय वैज्ञानिक डेटाबेस का विकास एवं आपदा प्रबन्धन को मजबूत किया जायेगा, जिससे इन आपदाओं से होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विधवाओं के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमन्त्री विधवा एवं एकल नारी आवास योजना शुरू की है। इसके तहत इस वर्ष, 7 हजार ऐसी महिलाओं को मकान बनाने के लिए, प्रति महिला डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार प्रदेशवासियों के सहयोग से आने वाले चार वर्षों में हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाया जाएगा और आने वाले दस वर्षों में हिमाचल प्रदेश, देश का सबसे समृद्धशाली राज्य बनेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों को प्रदेश सरकार की ओर से दी जाने वाली सम्मान राशि को 15000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 25000 रुपये प्रतिमाह करने की घोषणा की तथा जिन स्वतंत्रता सेनानियों की मृत्यु हो चुकी है, उनकी पत्नियों को प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही सम्मान राशि को भी 15,000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 20,000 रुपये प्रतिमाह करने की घोषणा की। उन्होंने शत्रु सेना के विरुद्ध सैन्य अभियान के दौरान युद्ध के दौरान शहीद होने अथवा घायल या गुम होने वाले सैनिकों के आश्रितों को प्रदेश सरकार द्वारा अनुग्रह अनुदान राशि में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि युद्ध या युद्ध जैसी परिस्थितियों में शहीद सैनिक के आश्रितों को 20 लाख रुपये के स्थान पर अब 30 लाख रुपये प्रदान किये जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नॉन ऑपरेशनल क्षेत्रों में अथवा ऐसे ऑपरेशनल क्षेत्रों, जहां युद्ध न हो, में शहीद होने वाले सैनिक के आश्रितों को 5 लाख रुपये के स्थान पर अब 7 लाख 50 हजार रुपये दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सैन्य अभियान के दौरान 50 प्रतिशत से अधिक अपंगता वाले सैनिकों को 3.75 लाख रुपये तथा 50 प्रतिशत से कम की अपंगता वाले सैनिकों को 1.50 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने विधवा पुनर्विवाह योजना के अन्तर्गत दी जानी वाली सहायता राशि को 65 हजार रुपये को बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने की घोषणा भी की। उन्होंने मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी को सामान्य क्षेत्र में 224 से 240 रुपये तथा जनजातीय क्षेत्र में 280 से 294 रुपये करने की घोषणा की। इस घोषणा से मनरेगा में काम करने वाले 9 लाख परिवार लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पूरक पोषण के रूप में गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं तथा 6 माह से 6 वर्ष के बच्चों व कुपोषित बच्चों के पोषण व स्वास्थ्य सम्बंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी मातृ शिशु संकल्प योजना को आरम्भ करने की घोषणा करते हुए कहा कि इस योजना के लिए 50 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया जाएगा, जिसमें स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रमों में शिशु और माता के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि आपदा में बागवानों को काफी नुकसान पहुँचा है, जिसे उन्होंने स्वयं देखा है। उन्होंने सेब, आम और लीची फलों के लिए मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत वर्ष 2023 में बढ़ौतरी की घोषणा की। उन्होंने सेब के समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक डेढ़ रूपये की बढ़ौतरी कर इसे 10.50 रुपये से बढ़ाकर 12 रुपये करने की भी घोषणा की। रिज तक पैदल पहुँचे मुख्यमंत्री
इससे पूर्व राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री अपने सरकारी आवास ओक ओवर से पैदल रिज तक पहुँचे। रास्ते में उन्होंने लोगों का अभिवादन स्वीकार किया और लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी। कार्यक्रम के बाद ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू पैदल ही रिज से ओक ओवर पहुँचे।इस अवसर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा, विधायक हरीश जनारथा, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम के उपाध्यक्ष केहर सिंह खाची, हिमाचल प्रदेश सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम, मुख्यमंत्री के ओएसडी रितेश कपरेट, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, एडीजीपी अभिषेक त्रिवेदी, वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

error: